प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की मजबूरी है योगी आदित्यनाथ या मजबूती। ?

साल 2021 ख़त्म और यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार शुरू होने को था.
अटकलें थीं कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अनबन है.

तभी 21 नवंबर 2021 को दो तस्वीरें सामने आईं. एक में मोदी, योगी से कुछ कहते दिखे. दूसरे में कैमरे की तरफ़ पीठ किए हुए मोदी योगी के कंधे पर हाथ रखे हुए दिखे.

योगी आदित्यनाथ के सोशल मीडिया अकाउंट्स से इन तस्वीरों को साझा करते हुए लिखा गया- ''हम निकल पड़े हैं प्रण करके, अपना तन-मन अर्पण करके, जिद है एक सूर्य उगाना है, अंबर से ऊंचा जाना है...''


अगले ढाई साल में योगी दोबारा यूपी के सीएम बन गए और मोदी तीसरी बार पीएम. मगर जिस 'अंबर से ऊंचे जाने' और 'नया सूर्य उगाने' की बात मोदी और योगी की तस्वीरों के साथ लिखी गई थी, वो बस कवि की कल्पना ही रह गई


2017 यूपी विधानसभा चुनाव में 312 सीटें जीतने वाली बीजेपी 2022 में 255 सीटें ही जीत पाई.

2019 लोकसभा चुनाव में यूपी की 62 सीटें जीतने वाली बीजेपी 2024 में 33 सीटों पर सिमट गई.

बीजेपी के इसी सियासी ढलान के साए में योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के ताज़ा बयानों ने फिसलन बढ़ाई है



सवाल उठ रहा है कि 2024 चुनाव के बाद क्या मोदी और अमित शाह के नेतृत्व वाली बीजेपी के सामने योगी आदित्यनाथ मज़बूती बन गए हैं या मजबूरी? योगी आदित्यनाथ के सामने क्या चुनौतियां हैं या वो ख़ुद किसी के लिए चुनौती हैं



योगी आदित्यनाथ: विरोध से बीजेपी का स्टार प्रचारक बनने तक
नरेंद्र मोदी, अमित शाह के बाद संभवत: योगी आदित्यनाथ ही हैं, जिन्होंने बीते चुनावों में कई राज्यों में जाकर प्रचार किया.

बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट के शुरुआती नामों में योगी आदित्यनाथ का नाम आता है.

मगर बीजेपी में योगी की बनी इस जगह की शुरुआत ही एक बगावत से हुई थी.

कुछ साल पीछे चलते हैं. काला चश्मा, टाइट कपड़े वाले अजय सिंह बिष्ट यानी योगी आदित्यनाथ के कॉलेज वाले दिन.

शरत प्रधान और अतुल चंद्रा अपनी किताब 'योगी आदित्यनाथ' में लिखते हैं- अजय सिंह बिष्ट के एक जीजा चाहते थे कि वो एक वामपंथी पार्टी की स्टूडेंट विंग से जुड़ें मगर अजय एबीवीपी से जुड़े. ख़ूब मेहनत की मगर जब एबीवीपी ने अजय को उम्मीदवार नहीं बनाया तो विरोध की पहली चिंगारी दिखाई दी.

अजय बिष्ट उर्फ़ योगी एबीवीपी के ख़िलाफ़ ही निर्दलीय चुनाव लड़ गए. मगर जीत ना सके. ये योगी आदित्यनाथ की चुनावी राजनीति की पहली और इकलौती हार है.

26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बनने से लेकर दूसरी बार यूपी का सीएम बनने तक, योगी आदित्यनाथ ख़ुद चुनाव कभी नहीं हारे हैं.



न्यूज़ पथ 24×7
संवाददाता= ऐ के चौधरी  (नई दिल्ली)
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